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    Friday 28 October 2016

    धनतेरस(धनतेरस पूजा शुभ मुहूर्त) और दिवाली पर करें ये 10 उपाय, गरीबी हो जाएगी दूर।।।


    Dhanteras Puja Shubh Muhurat 2016:

    ☛ धनतेरस पूजा तिथि : 28 अक्तूबर 2016 , शुक्रवार
    ☛ धनतेरस पूजन मुर्हुत : सायं 05:35 बजे से 06:20 बजे तक
    ☛ धनतेरस प्रदोष काल : सायं 05:35 से रात्रि 08:11 बजे तक
    ☛ धनतेरस वृषभ काल : सायं 06:35 बजे से रात्रि 08:20 बजे तक
    ☛ धनतेरस त्रयोदशी तिथि प्रारंभ : सायं 04:15 से, 27 अक्तूबर 2016
    ☛ धनतेरस त्रयोदशी तिथि समाप्त : सायं 06:20 बजे, 28 अक्तूबर 2016

    धनतेरस पूजा क्यों मनाया जाता है???
    प्राचीन मान्यताओ के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरी हाथो में कलश लेकर प्रकट हुए थे । भगवान धन्वंतरी भगवान विष्णु का एक स्वरुप है और देवताओ के चिकित्सक भी है । ऐसा मानना है की अगर धनतेरश की पूजा शुभ मुहूर्त में और पूर्ण विधि विधान से किया जाये तो आपका धन वैभव 13 गुणा बढ़ जाता है और आरोग्य सुख यानी स्वास्थ्य लाभ मिलता है । इसलिए इस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है. भगवान धन्वंतरी के हाथो में कलश है इसलिए इस दिन बर्तन या चांदी,सोना खरीदना शुभ माना जाता है

    धनतेरस पूजन विधि:
    इस दिन सर्वप्रथम नहाकर साफ वस्त्र धारण करें तद्पश्चात शुभ मुहूर्त में भगवान धन्वन्तरि, माँ लक्ष्मी और भगवान कुबेर की मूर्ति या फोटो साफ स्थान पर स्थापित करें तथा स्वयं पूर्वाभिमुख होकर बैठ जाएं । अब एक कलश में 5 सुपारी, 1 चांदी का सिक्का, दुर्बा घास , हल्दी का टुकड़ा, सम्भव हो तो 13 रत्न, कलश के ऊपर एक प्लेट में चावल रखे और उस पर एक श्रीफल रखे इस प्रकार से कलश स्थापना के बाद कलश की पंचोपचार पूजा करे दीप दान के बाद भोग या नैवेद्य भी अर्पित करे और उसके बाद सर्वप्रथम भगवान धन्वन्तरि का आह्वान निम्न मंत्र से करें-

    सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,
    अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
    गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।

    इसके पश्चात पूजन स्थल पर आसन देने की भावना से चावल चढ़ाएं। इसके बाद आचमन के लिए जल छोड़े। भगवान धन्वन्तरि के चित्र पर गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि चढ़ाएं। चांदी के पात्र में खीर का नैवैद्य लगाएं। (अगर चांदी का पात्र उपलब्ध न हो तो अन्य पात्र में भी नैवेद्य लगा सकते हैं।) तत्पश्चात पुन: आचमन के लिए जल छोड़े। मुख शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं। भगवान धन्वन्तरि को वस्त्र (मौली) अर्पण करें। शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी भगवान धन्वन्तरि को अर्पित करें।


    रोग नाश करने के लिए कामना करे और इस मंत्र का जाप करें-

    ऊँ रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्।।

    उसके बाद भगवान कुबेर का आह्वान निम्न मंत्र से करें-

    यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
    धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।

    अंत में धन वैभव और सर्व रोग निवारणी माँ लक्ष्मी का जाप इस मंत्र से करे —

    ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

    इसतरह पूजा विधि सम्पूर्ण करने के बाद सबकी आरती करे और यमराज को दीपदान करे और घर के मुख्य द्वार से दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाये ।

    धनतेरस पूजन कथा:
    बहुत समय पहले हेम नामक एक राजा थे, उनकी कोई सन्तान नहीं थी. काफी पूजा और मनोकामनाओ के बाद उनको पुत्र रतन की प्राप्ति हुई । ज्योतिष के कुंडली के अनुसार बालक की शादी के दसवे दिन इसकी मृत्यु का योग था । यह सुनकर राजा हेम ने अपने पुत्र को ऐशी जगह भेजने का निश्चय किया जहाँ कोई स्त्री न हो । लेकिन घने जंगल में राजा के पुत्र को एक सुंदर कन्या मिली, जिससे उन्हें प्रेम हो गया और दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया । भविष्यवाणी के अनुसार पुत्र की दसवे दिन मृत्यु का समय आ गया । उसके प्राण लेने के लिए यमराज के दूत यमदूत पृथ्वीलोक पर आये । जब वे प्राण ले जा रहे थे तो मृतक की विधवा के रोने की आवाज सुन यमदूत के मन में भी दुःख का अनुभव हुआ, लेकिन वे अपने कर्तव्य के आगे विवश थे । यम दूत जब प्राण लेकर यमराज के पास पहुँचे, तो बेहद दुखी थे, तब यमराज ने कहा दुखी होना तो स्वाभाविक है, लेकिन हम इसके आगे विवश हैं । ऐसे में यमदूत ने यमराज से पूछा कि हे राजन क्या इस अकाल मृत्यु को रोकने का कोई उपाय नहीं हैं ? तब यमराज ने कहा कि अगर मनुष्य कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन कोई व्यक्ति संध्याकाल में अपने घर के द्वार पर एवम दक्षिण दिशा में दीप जलायेगा, तो उसके जीवन से अकाल मृत्यु का योग टल जायेगा । इसी कारण इस दिन यमराज की पूजा की जाती हैं और घर के मुख्य द्वार से दक्षिण दिशा की और दीप जलाने की परंपरा चलती आ रही है ।


    कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस व अमावस्या को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। ये दोनों ही दिन धन संबंधी उपाय करने के लिए स्वयंसिद्ध मुहूर्त है। इस बार धनतेरस 28 अक्टूबर, शुक्रवार तथा दीपावली 30 अक्टूबर, रविवार को है।
    धनतेरस के दिन देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेरदेव तथा दीपावली पर धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।ऐसा माना जाता है कि धनतेरस व दीपावली के दिन किया गया दान, हवन, पूजन व उपायों का फल अक्षय (संपूर्ण) होता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार, अगर इस दिन कुछ विशेष उपाय किए जाएं या कुछ विशेष वस्तुओं को घर में रखा जाए तो मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उपाय करने वाले को मालामाल भी कर सकती हैं।
    अपार धन की प्राप्ति हर मनुष्य की चाहत होती है। सिर्फ चाहने से धन नहीं मिलता उसके लिए मन में तड़प होना भी जरूरी है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार अपार धन प्राप्ति के लिए शुद्ध आचरण और शुद्ध विचार का होना भी जरूरी है। दरिद्रता, गरीबी या कर्ज से छुटकारा पाकर धनवान बनने के लिए यहां हम आपको बता रहे हैं कुछ खास उपाय,जिन्हें आजमाकर आप भी धनवान बन सकते हैं।जानिए धनतेरस व दीपावली के उपाय...

    धनतेरस और दिवाली पर करें ये 10 उपाय, गरीबी हो जाएगी दूर।।।
    1. धनतेरस या दीपावली की शाम को मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें और उसके बाद मां लक्ष्मी के चरणों में सात लक्ष्मीकारक कौडिय़ां रखें। आधी रात के बाद इन कौडिय़ों को घर के किसी कोने में गाड़ दें। इस प्रयोग से शीघ्र ही आर्थिक उन्नति होने के योग बनेंगे।

    2.धन लाभ चाहने वाले लोगों के लिए कुबेर यंत्र अत्यन्त सफलतादायक है। धनतेरस या दीपावली के दिन बिल्व-वृक्ष के नीचे बैठकर इस यंत्र को सामने रखकर कुबेर मंत्र को शुद्धता पूर्वक जाप करने से यंत्र सिद्ध होता है तथा यंत्र सिद्ध होने के पश्चात इसे गल्ले या तिजोरी मे  स्थापित किया जाता है। इसके स्थापना के पश्चात् दरिद्रता का नाश होकर, प्रचुर धन व यश की प्राप्ति होती हैमंत्रऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन्य धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि में देहित दापय स्वाहा

    3. धनतेरस या दीपावली पर महालक्ष्मी यंत्र का पूजन कर विधि-विधान पूर्वक इसकी स्थापना करें। यह यंत्र धन वृद्धि के लिए अधिक उपयोगी माना गया है। कम समय में ज्यादा धन वृद्धि के लिए यह यंत्र अत्यन्त उपयोगी है। इस यंत्र का प्रयोग दरिद्रता का नाश करता है। यह स्वर्ण वर्षा करने वाला यंत्र कहा गया है। इसकी कृपा से गरीब व्यक्ति भी एकाएक अमीर बन सकता है।

    4. पुराने चांदी के सिक्के और रुपयों के साथ कौड़ी रखकर उनका लक्ष्मी पूजन के समय केसर और हल्दी से पूजन करें। पूजा के बाद इन्हे तिजोरी में रख दें। इस उपाय से बरकत बढ़ती है।

    5. धनतेरस या दीपावली की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कामों से निपट कर किसी लक्ष्मी मंदिर में जाएं और मां लक्ष्मी को कमल के फूल अर्पित करें और सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं। मां लक्ष्मी से धन संबंधी समस्याओं के निवारण के लिए प्रार्थना करें। कुछ ही समय में आपकी समस्या का समाधान हो सकता है।

    6. धनतेरस या दीपावली की शाम को घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें, साथ ही दीए में थोड़ी सी केसर भी डाल दें। इस उपाय से भी धन का आगमन होने लगता है।

    7. धनतेरस या दीपावली को विधिवत पूजा के बाद चांदी से निर्मित लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति को घर के पूजा स्थल पर रखना चाहिए। इसके बाद प्रतिदिन इनकी पूजा करने से घर में कभी धन की कमी नहीं होती और घर में सुख-शांति भी बनी रहती है।

    8. श्रीकनकधारा धन प्राप्ति व दरिद्रता दूर करने के लिए अचूक यंत्र है। इसकी पूजा से हर मनचाहा काम हो जाता है। यह यंत्र अष्टसिद्धि व नवनिधियों को देने वाला है। इसका पूजन व स्थापना भी धनतेरस या दीपावली के दिन करें।

    9. धनतेरस या दीपावली की रात को शुद्धता के साथ स्नान कर पीली धोती धारण करें और एक आसन पर उत्तर की ओर मुंह करके बैठ जाएं। अब अपने सामने सिद्ध लक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें, जो विष्णु मंत्र से सिद्ध हो और स्फटिक माला से नीचे लिखे मंत्र का 21 माला जाप करें। मंत्र जाप के बीच उठे नहीं, चाहे घुंघरुओं की आवाज सुनाई दे या साक्षात लक्ष्मी ही दिखाई दे।मं त्रऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं ऐं ह्रीं श्रीं फट्इस टोटके को विधि-विधान पूर्वक संपन्न करने से धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं और साधक को मालामाल कर सकती हैं।

    10. धनतेरस या दीपावली पर श्रीमंगल यंत्र का पूजन कर स्थापना करें। इस यंत्र के नियमित पूजन से शीघ्र ही सभी प्रकार के कर्जों से निजात मिल जाये गई

    हैप्पी धनतेरस

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